पुराने और नये नियम के मध्य के बीच के 400 सालों का इतिहास - भाग 1


प्रस्तावना

पुराने नियम के इतिहास का समापन इस्राएली लोगों के बंदिवास से लौटने के बाद होती है। उस समय जब पुरी दुनिया पर मेदी पारस का साम्राज्य था। यरुशलेम नगर बसाया जाता है और परमेश्वर के मंदिर की पुनःस्थापना की जाती है, ठीक उसी स्थान पर जिस स्थान पर सुलैमान के द्वारा निर्मित मंदिर था। साथ ही हम नहेम्या और एज्रा की किताब में उस समय उन्होने किए हुए सामाजिक सुधार को भी देखते है। लोग पुरे मन से परमेश्वर के व्यवस्था को पालन करने के लिये, उसका अध्ययन करने के लिए समर्पित होते है। मलाकी भविष्यवक्ता की किताब पुराने नियम की आखरी किताब है। मलाकी भविष्य वक्ता नहेम्या और एज्रा के समकालिक ही था।

पुराने नियम समय पढते समय हमें वहाँ के रहन-सहन, संस्कृति, रित रिवाज, राजकीय स्थिति, भाषा आदी की जानकारी प्राप्त होती है। परंतु जब हम नये नियम पढ़ना आरम्भ करते है, अचानक हमें बहुत कुछ बदला हुआ नजर आने लगता है।

हम राजकीय बदलावट को पाते है, अब इस्राएल रोम साम्रराज्य के अधीन है, यहुदा और शोमरोन और गलीली आदी प्रांत को हम देखते,

यहुदी समाज में भी हम अनेक बदलाव को पाते है। हम याजको के बारे में पुराने नियम में तो पढते पर नये नियम में हम शास्त्री, फरीसी, सदुकी आदी यहुदी धर्म संबंधी लोगो का वर्णन पाते है।

पास्टर होने के नाते कहीबार मुझे इस बदलाव के बारे में प्रश्न पुछा गया है। और यह जरुरी भी की एक मसीही व्यक्ती जो पवित्र शास्त्र का अभ्यासक है वह इस बारे में जाने: इसे कलिसिया में सिखाया भी जाना चाहिए, ताकी लोगो का विश्वास बांधा जाए। लोग आश्चर्यचकित होते जब मैं उनसे कहता हुँ, मलाकी और मत्ती की किताब की घटनाओ के बीच 400 साल का इतिहास है। और वे जानना चाहते है की इस बीच क्या हुआ था।

अगले कुछ दिनो में हम उन्ही 400 सालो के मध्य घटित इतिहास के बारे में जानेगे।  

इस्राएल देश का ऐतिहासिक कालक्रम

इसे अधिक गहराई से समझने के लिये सर्व प्रथम हमें पुराने नियम के इतिहास पर नजर डालनी होगी। जो खुद में एक विस्तृत विषय है। यदी आपने पुराना नियम खासकर उत्पत्ति 12 अध्याय से एस्तेर की किताब तक पढा है तो आगे का विवरण समझने में आपको आसानी होगी।
इस्राएल का इतिहास अब्राहम जो प्रथम कुलाधिपति उससे आरंभ होता है। याकुब के 12 पुत्रो के द्वारा मिस्र में इस्राएल के वंश का विस्तार होता है। और उनकी तादाद बढने लगती है। मिस्र के अगले कुछ राजा - फारो उन्हे गुलाम बना कर रख देते है। 430 साल इस्राएल मिस्र के गुलामी को सहता है। इस गुलामी का अंत परमेश्वर मुसा के अगुवाई में उन्हे सामर्थ्य के साथ बाहर निकाल के कर देता है।
मुसा के बाद यहोशु के नैतृत्व में इस्राएल कनान में प्रवेश और विजय हासिल करने के वाद शौल और दाऊद के समय में एक मजबुत देश के रुप में उभर कर आता है।
सुलैमान के समय इस्राराए वैभव शिखर पहुचता है और इसके उपरांत अखंड इस्राएल के दो भाग हो जाते है। एक दक्षिणी राज्य इस्राएल और उत्तरी राज्य यहुदा। दोनो राज्यो का पतन क्रमशः अश्शुर और बेबिलोन के द्वारा हो जाता है।

आए इन घटनाओ के समय रेखा पे गौर करे

इस्राएल देश का ऐतिहासिक कालक्रम

कुलाधिपति (ई.स.पू. 2166-1805)
ई.स.पू. 2166-1991 अब्राहम
ई.स.पू. 2066-1886 इसहाक
ई.स.पू. 2005- 1859 याकुब
ई.स.पू. 1914- 1805 युसुफ
ई.स.पू. 1884 युसुफ मिस्र का प्रधान बना
ई.स.पू. 1876 याकुब और उसका परिवार मिस्र में
मिस्र इस्राएल की जनसंख्या का बढना और वहा गुलामी के 430 साल
ई.स.पू. 1529-1407 अहरोन
ई.स.पू. 1526-1406 मुसा
ई.स.पू. 1446 पहला फसह और मिस्र के गुलामी से निकल कर कनान की और प्रस्तान
इसके आगे लगभग 40 साल इस्राएल सीन के जंगल और कादेश बर्निया में भटकता रहा, मुसा के मृत्यू के पश्चात यहोशु ने इस्राएल का नेतृत्व किया। कनान और पलिस्तिन पर प्रवेश और विजय ई.स.पू. 1446-1350
ई.स.पू. 1350 न्यायियों का दौर आरम्भ हुआ
इस्राएक का राज्य- राजाओ का कार्यकाल
ई.स.पू. 1100-1060 शिलोह में एली याजक
ई.स.पू. 1060-1020 शमुवेल न्यायी और भविष्य्वक्ता
ई.स.पू. 1051-1011 राजा शौल
ई.स.पू. 1011-971 राजा दाऊद
ई.स.पू. 971-931 राजा सुलैमान
ई.स.पू. 960 के आसपास सुलैमान ने परमेश्वर का भवन का काम पूर्ण किया
इस्राएल के राज्य का विभाजन ई.स.पू. 931
उत्तरी राज्य इस्राएल ई.स.पू. 931-722
ई.स.पू. 722 में इस्राएल राज्य को अश्शुर के राजा तिग्लत्पिलेसेर ने पुर्णता काबिज कर दिया तब पेकह इस्राएल का अंतिम राज था, इसके बाद यह राज्य कभी भी स्थापित नहीं हो पाया।
दक्षिणी राज्य – यहुदा ई.स.पू. 931-586
इस राज्य का अंत ई.स.पू. 586 में नबुकदनेस्सर इस यहुदा राज्य का अंत कर दिया, तथा यहुदा राज्य के लोगो को बंदी बनाकर बेबिलोन साम्राज्य में ले जाया गया।
इसके आगे का इतिहास हम अगले कुछ पोस्ट में विवरण के साथ देखेगे।


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