प्रस्तावना
पुराने नियम के इतिहास का समापन इस्राएली लोगों
के बंदिवास से लौटने के बाद होती है। उस समय जब पुरी दुनिया पर मेदी पारस का
साम्राज्य था। यरुशलेम नगर बसाया जाता है और परमेश्वर के मंदिर की पुनःस्थापना की
जाती है, ठीक
उसी स्थान पर जिस स्थान पर सुलैमान के द्वारा निर्मित मंदिर
था। साथ ही हम नहेम्या और एज्रा की किताब में उस समय उन्होने किए हुए सामाजिक
सुधार को भी देखते है। लोग पुरे मन से परमेश्वर के व्यवस्था को पालन करने के लिये, उसका
अध्ययन करने के लिए समर्पित होते है। मलाकी भविष्यवक्ता की किताब पुराने नियम की
आखरी किताब है। मलाकी भविष्य वक्ता नहेम्या और एज्रा के समकालिक ही था।
पुराने नियम समय पढते समय हमें वहाँ के रहन-सहन, संस्कृति, रित रिवाज, राजकीय
स्थिति, भाषा आदी की जानकारी प्राप्त होती है। परंतु जब हम
नये नियम पढ़ना आरम्भ करते है, अचानक हमें बहुत कुछ बदला हुआ
नजर आने लगता है।
हम राजकीय बदलावट को पाते है, अब इस्राएल रोम साम्रराज्य के अधीन है, यहुदा और
शोमरोन और गलीली आदी प्रांत को हम देखते,
यहुदी समाज में भी हम अनेक बदलाव को पाते है। हम
याजको के बारे में पुराने नियम में तो पढते पर नये नियम में हम शास्त्री, फरीसी, सदुकी आदी यहुदी धर्म संबंधी लोगो का वर्णन
पाते है।
पास्टर होने के नाते कहीबार मुझे इस बदलाव के बारे
में प्रश्न पुछा गया है। और यह जरुरी भी की एक मसीही व्यक्ती जो पवित्र शास्त्र का
अभ्यासक है वह इस बारे में जाने: इसे कलिसिया में सिखाया भी जाना चाहिए, ताकी लोगो का विश्वास बांधा जाए। लोग आश्चर्यचकित होते जब मैं उनसे कहता
हुँ, मलाकी और मत्ती की किताब की घटनाओ के बीच 400 साल का
इतिहास है। और वे जानना चाहते है की इस बीच क्या हुआ था।
अगले कुछ दिनो में हम उन्ही 400 सालो के मध्य
घटित इतिहास के बारे में जानेगे।
इस्राएल देश का ऐतिहासिक कालक्रम
इसे अधिक गहराई से समझने के लिये सर्व प्रथम हमें पुराने नियम के इतिहास पर नजर डालनी होगी। जो खुद में एक विस्तृत विषय है। यदी आपने पुराना नियम खासकर उत्पत्ति 12 अध्याय से एस्तेर की किताब तक पढा है तो आगे का विवरण समझने में आपको आसानी होगी।
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