कुरिन्थ शहर (CORINTH)
यह नगर ग्रीस की मुख्य भूमि में स्थित है। यहाँ दो बन्दरगाह एवं उत्तर-दक्षिण मुख्य मार्ग में स्थित होने के कारण एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र रहा। यहाँ की उपजाऊ भूमि में जैतून, अंगूर, खजूर आदि मुख्य फल पैदा होते थे।
कुरिनथ नगर सर्वप्रथम ई.पू. 5000-3000 में बसाया गया। नगर ई.पू. 8वीं शताब्दी में अत्यन्त समृद्ध रहा। ई.पू. 146 में एक रोमन सैन्य अधिकारी ममियस द्वारा नष्ट कर, ई. पू. 550 में स्थापित अपोलो मंदिर को लूट लिया गया। इसके अतिरिक्त जहाज, विभिन्न बहुमूल्य चित्र एवं अन्य धन दौलत को लूटकर रोम नगर ले जाया गया।
ई.पू. 46 में जूलियस सीजर द्वारा कुरिन्थ को पुनः बसाया गया तथा चौड़ी गलियों, बाजार, मंदिर, रंगशाला, प्रतिमाएँ, फौवारे एवं सफेद तथा नीले संगमरमर से न्याय सिंहासन आदि का निर्माण किया।
नगर से लगभग 500 फीट की ऊँचाई पर दक्षिण में एक्रोकुरिन्थ स्थित है। जहाँ मंदिर एवं उसमें स्थापित अश्तोरेत देवी की प्रतिमा है, जो कि प्रेम और प्रजनन शक्ति की प्रतीक थी।
सन् 1822 में तुर्कियों ने नगर को स्वतंत्र किया। कुरिन्थ नगर सन् 1858 में प्राकृतिक आपदा, भूकम्प के कारण नष्ट हुआ। बची हुई आबादी ने 4 मील की दूरी पर बसकर नए कुरिन्थ का निर्माण किया। पुराना नगर धीरे-धीरे मिट्टी में भूमिगत होता चला गया।
सन् 1892 एवं 1906 में एथेन्स की पुरातात्विक सोसायटी द्वारा एस्कियास के नेतृत्व में बहुत कम मात्रा में उत्खनन कार्य किया गया। किन्तु सुव्यवस्थित एवं योजनाबद्ध तरीके से उत्खनन सन् 1896 में अमेरिकन स्कूल ऑफ स्ट्डीस ने 20 खाईयों को खोदकर किया। खाई क्र. 3 में फर्शीकरण युक्त 46 फीट चौड़ी गली, अनेक गटर आदि पाये गये। ये गलियाँ पूर्णतः पैदल चलने के लिए थी, चूँकि किसी भी प्रकार के चक्के के चिन्ह नहीं पाये गये। इसके अतिरिक्त अन्य छोटी-छोटी खोजों में अनेक खण्डमय मूर्तियाँ, फूलदान, संगमरमर के दरवाजों के खण्ड जिसमें 'हिब्रुओं का यहूदी मंदिर 'उत्कीर्ण था, पाया गया। एक चौकोर चूना पत्थर में उत्कीर्ण पाया गया कि “हरास्तुस जो कि नगर का प्रशासक है ने स्वयं के खर्च से नगर चौक बनाया।"
मुख्य खोजों में यूनानी रंगशाला, अपोलो मंदिर, प्राचीन न्यायालय, बाजार, संगमरमर निर्मित न्याय सिंहासन आदि हैं।
सन् 51/52 में प्रेरित पौलुस द्वारा कुरिन्थ नगर का भ्रमण किया गया एवं लगभग डेढ़ वर्ष तक नगर में तम्बू बनाने का कार्य करते हुए रहे। यहाँ उन्होंने यहूदियों एवं यूनानियों को सुसमाचार सुनाया जिसमें अनेकों ने विश्वास कर कलीसिया बनाई। इन्हीं कलिसिया को पौलुस द्वारा पत्र लिखे गये, जिसे नये नियम में 1 कुरिन्थियों एवं 2 कुरिन्थियों के नाम से संग्रहित किया गया। प्राप्त चूना पत्थर में उत्कीर्ण हरास्तुस का वर्णन पौलुस द्वारा रोमियो 16:24 में पाया जाता है। उत्खनन में प्राप्त न्याय आसन का वर्णन, प्रेरितों के कार्य नामक पुस्तक के 18:17 में पाया जाता है।
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