“डाकुओं की खोह” सर्राफ (पैसे बदलवाकर देने वाले)
(मंदिर के शुद्धिकरण की घटना से संबंधीत पुरातत्व सबुत)
तब उसने रस्सियों का कोड़ा बनाकर, सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया, और सर्राफों के पैसे बिखेर दिये और पीढ़ों को उलट दिया, और कबूतर बेचनेवालों से कहा, “इन्हें यहाँ से ले जाओ। मेरे पिता के घर को व्यापार का घर मत बनाओ।” युहन्ना 2:15, 16
यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो। मत्ती 21:12-13
हम सभी इस घटना से अच्छे खासे परिचित है, वैसे यह घटना हमारी पसंदिदा घटना है, जिसके द्वारा हम मसीहत के व्यापारीकरण और पाखण्ड की उजागर करने के लिये करते है।
प्रश्न यह है क्या उन दिनों में परमेश्वर के मंदिर में वास्तव में ऐसा कुछ चल रहा था। क्या इसके कुछ पुरातत्व और ऐतिहासिक प्रमाण है। तो आईए आगे के लेख को ध्यान पूर्वक पढे:
सर्राफ़ पैसे बदलवाकर देनेवाले:
यह वे व्यापारी हुआ करते थे जो मंदिर में पैसे बदलवाकर देते थे, (English – Money Changer) ठिक वैसे ही जैसे आज हवाई अड्डे पे परदेशी पैसे भारतिय रुपयो में बदलवाकर लिये या दिये जाते है। हर एक लेन देन पर एक तयशुधा रकम कमिशन के रुप ली जाती थी। युहन्ना 2:14 और मत्ती 21:12,13 में जो ग्रिक शब्द इस्तेमाल किया गया है वह है ‘ कोल्लिबिस्तेस जो कोल्लिबॉस शब्द से आया है जिसका अर्थ है पैसे बदलनेवाले। वे फसह के लगभग एक महीना पहले ही मंदिर में दुकान जमाए बैठते
इस घटना का परिणाम था की केरिटॉट 1:7 के अनुसार
यहुदी मिश्नाह (मिश्नाह – यहुदी मौखिक परम्पराओं का लिखित ग्रंथ) जिसमें इस प्रकार की सेवा के बारे में उल्लेख किया हुआ है। यह पैसे को सुरक्षित रखने और बदलने का काम करते (बावा मेज़िआ 3:11, 9:12)
प्रभु येशु के समय में मंदिर का सालाना कर दो दिनार हुआ करता था। (मत्ती 17:24) यहुदी लोग जो दुर दराज विदोशो में बिखरे हुए थे, फसह के समय में यरुशलेम में अर्पण के लिये आने लगते थे। तब वे अपने साथ विदेशी पैसे (सिक्को के रुप में) ले आते। इस समय मंदिर का कर (टॅक्स) भरने के लिये और अर्पण लिए पशु खरिदने के लिये विदेशी पैसे को बदलवाकर लेना अनिवार्य था। सर्राफ मोटे कमिशन (तयशुधा रकम से कही अधिक) बदले उन्हे यह काम करते। यही कारण है की प्रभु येशु का गुस्सा उन पर फुटा।
बलिदान के लिये पशु:
मंदिर के पैसे जो बदलवाकर लिये जाते थे उन्ही से बलिदान के पशु खरिदे जाते। मंदीर के आंगण में से ही पशु खरिदना अनिवार्य कर दिया गया था। और व्यापारी उनकी किमत कही गुना जादा लेते। जैसे थे। उस समय गरीब लोग जो बडे जानवर (बछ्डे और बकरे या मेम्ने) का अर्पण करने के लिए आर्थिक रिति से सक्षम नहीं होते, वे कबुतर का बलिदान चढा सकते थे। लेकिन मंदिर के आँगण के व्यापारी इस कबुतर के लिये 1 सोने का सिक्का लेते यह उस समय 25 चांदी के दिनार के बराबर था। जो लगभग 25 दिन की कमाई थी। यही कारण है की येशु ने इन व्यापारीयो को भी मंदिर के बाहर खदेडा। इसका परीणाम यह था की गमलियल के पुत्र शिमोन ने उसी रात फर्माण निकाला और कबुतरो की किमत 1 दिनार कर दी गई। (मिश्नाह- Keritot 1:7)
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