सदोम और अमोरा का विनाश के पुरातत्व सबुत
तब लूत ने आँख उठाकर, यरदन नदी के पास वाली सारी तराई को देखा कि वह सब सिंची हुई है। जब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नष्ट न किया था, तब तक सोअर के मार्ग तक वह तराई यहोवा की वाटिका, और मिस्र देश के समान उपजाऊ थी।
इसलिये लूत अपने लिये यरदन की सारी तराई को चुन के पूर्व की ओर चला, और वे एक दूसरे से अलग हो गए।
अब्राम कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा; और अपना तम्बू सदोम के निकट खड़ा किया।
सदोम के लोग यहोवा के लेखे में बड़े दुष्ट और पापी थे। (उत्पती 13:11-14)
खोज:
यह एक उपजाऊ, तराई का प्रदेश था। सदोम और अमोरा के निश्चित स्थान को लेकर कई पुरातत्व वैज्ञानिको में मतभेद है।
A) ‘बाब इध-ध्रा’ (Bab edh-Dhra)
कही विद्वान मानते थे की वह स्थान ‘बाब इध-ध्रा’ (Bab edh-Dhra), इस स्थान पर पुरातत्व विद्वान जैसे पौल लॅप्प (1960 में) और (1973) में वॉल्टर रास्ट और थॉमस स्कब ऐसे सबुत पेश किए जो बताते थे की वे एक पूर्ण रिति से बसा हुआ, योजनापूर्वक तैयार किया हुआ शहर थे। जहापर कब्रस्थान, घर, इमारत, सास्कृतिक निर्माण पाए गये। यहापर जो सबुत पाए गये उससे पता चलता है की इस प्रदेश का विनाश बडे अग्निकाण्ड के द्वारा हुआ। इस विभाग में राख की एक मोटी परत पाई गई थी। इन सबुतो के अधार पर बहुत से विद्वान यह मानते है की ‘बाब इध-ध्रा’ पवित्र शात्र में वर्णित सदोम शहर है।
हालाँकि, हाल ही में किया गया संशोधन जो डॉ. स्टिवन कॉलिन के द्वारा किया गया है, वे इस शहर का स्थान ‘ताल एल-हम्माम’ (Tall el-Hammaam) बताते है, यह स्थान मृत सागर उत्तरी छोर पे है, जहापर यरदन नदी का प्रदेश स्थित है।
B) ‘ताल एल-हम्माम’ (Tall el-Hammaam) यह जगह सदोम शहर है इसके ठोस प्रमाण उपलब्ध
पुरातत्व विद्वान कॉलिन कई सबुत देते है जिस यह शहर प्राचिन काल में सदोम हो सकता है, यह प्रमाणित होता है।
सबसे पहले,
मध्य कांस्य युग द्वितीय (1800-1550 ईसा पूर्व) के तुरंत बाद कई शताब्दियों का एक आकस्मिक व्यावसायिक और व्यहारिक अंतर को पाते है, सदोम के विनाश के समय को दर्शाता है। किसी कारण से, लम्बे अंतराल तक शहर अब आबाद नहीं था, जो अजीब लगता है क्योंकि यह एक प्रमुख व्यापार मार्ग पर स्थित था, ताजे पानी के झरने थे, किलेबंदी थी, और यरदन नदी के करीब स्थित था। मुसा और यहोशु के समय (1400 इ स पू) यरदन की इस तराई को बंजर भुमी कहा गया है। (गिनती 21:20) जो कास्य युग के अंत तक (1550-1200 इ स. पू) और लोह युग (1200-1000 इ स पू) तक चलता रहा। यह सबुत मिले है की यह प्रदेश कही शतको तक बंजर रहा। हो सकता है की इस प्रदेश का पुननिर्माण शालोमन के समय में किया गया हो।
दुसरा,
ताल एल-हम्माम में अति भयानक विध्वंश के सबुत मिले है। और कही जगह पर 1 मिटर से भी जादा राख की मोटी परत मिली है। इस जगह पर छत, आवास, दीवारों, किलेबंदी बाधाओं, साथ ही व्यक्तिगत वस्तुओं जैसे गहने, उपकरण और मिट्टी के बर्तनों जैसी वास्तुशिल्प सुविधाओं की आग से व्यापक विनाश को प्रकट करती है। इन सबके अलावा, सबसे भयानक और रोमटे खडे करनेवाले विशेषताओं में से एक में मानव अवशेष शामिल हैं जो विनाशकारी विनाश को दर्शाते हैं।
कछ विद्वान कहते है की भुकंप के कारण भुमी में दबा नैसर्गिक वायु हवा में फैल गया और बडी आग उत्पन्न हुई और यह विनाश हुआ। लेकिन यदि ऐसा हुआ होता तो विध्वंश की मात्रा इतनी नहीं होती की सदियो तक यह नगर फिर से बसाया न जा सके। इसिलिये ये कहना उचित नहीं होगा।
तिसरा,
यदि देखा जाए तो पुरातत्व विनाश के सबुत, मानवी भग्न अवशेष, मिट्टी के पात्र, और वहाँ का भुभाद का जब परिक्षण किया गया, उसके द्वारा यह प्रकट हुवा की यह बिध्वंश प्रचंड उष्णता के कारण उन सब का यह भयानक अंजाम हुआ। वैज्ञानिक परिक्षण यह कहता है की हजारो सेल्सिएस की उष्णता एक झटके में उत्पन्न हुई होगी। वहाँ की मिट्टी और रेत का परिक्षण करने पर पता चलता है की वे उस उच्च गरमी के कारण ‘रेतिले काच’ में में तबदिल होइ हए। वैज्ञानिक इसकी तुलना न्यु मेक्सिको में हुए अॅटोमिक विध्वंश के परिक्षण के बराबर करते है।
तेल अल हम्माम ही सदोम और अमोरा का स्थान यह क्यों कहा जाता है क्योंकी, पवित्र शास्त्र के उत्पती 13 अध्याय 1-12 के विवरण के साथ पुर्णता मेल खाता है।
1. यह यरदन के तराई के घेरे में आता है
2. जो बेथल से स्पष्ट नजर आता है.
3. यरदन के मैदानी भाग में है
4. यह भाग यहोवा के बगिचे के समान है, पानी भरपुर मात्रा में है।
5. मिस्र के नदीयो के समान यहाँ पानी की कोई कमी नहि है।
6. यह कनान की सीमा पर है।
7. बेथेल के पुर्व में है
8. यह पुर्व-पश्चिम स्थित मुख्य नगर जहा से व्यापारी मार्ग जाता है वह स्थान है।
पुरातत्व और वैज्ञानिक प्रमाणो और परिक्षणो के द्वारा यह प्रमाणित हुआ है की इस स्थान पर एक बडा और भयानक विध्वंश हुआ था। मिले हुए मिट्टि के पात्र, मानवी अवशेष, और अन्य सभी वस्तुए यह साबित करती है की वे एक उच्च उष्णता के दबाव से एक झटके में झुलस गये।
बाईबल की यह घटना कोई मिथ्या कहानी नही है बल्कि एक ऐतिहासिक, वास्तविक घटना है।
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