ओम्निज्म क्या है?
ओम्निज्म का सबसे सरल अर्थ है सभी देवताओं और सभी धर्मों में विश्वास; सभी पंथों, सभी विश्वास प्रणालियों, और सभी चीजों/लोगों को जोड़ने वाले एकमात्र कारण में विश्वास। यह सिंक्रेटिज्म (विभिन्न धर्मों के मेल) का एक ऐसा रूप है जो अपनी चरम सीमा तक पहुंचता है। जो व्यक्ति इस दार्शनिक प्रणाली में विश्वास व्यक्त करता है, उसे ओम्निस्ट कहा जाता है।
मेरी शोध के अनुसार, ओम्निज्म शब्द का सबसे पुराना उपयोग अंग्रेजी कवि फिलिप बेली (1816-1902) ने अपनी कविता "फेस्टस" में किया था। प्रसिद्ध जैज़ संगीतकार जॉन कोलट्रेन ने अपनी रचना "ए लव सुप्रीम" में इस दार्शनिक झूठे विश्वास प्रणाली को संगीत के साथ जोड़ा। आज के समय में C-O-E-X-I-S-T (सभी धर्मों के प्रतीकों वाला बंपर स्टिकर) इस विधर्मी विश्वास प्रणाली का एक प्रमुख उदाहरण है।
हालांकि, ओम्निज्म एक आत्म-विरोधी विश्वास प्रणाली है। सत्य सापेक्ष नहीं है। एक ही समय में एक ही सच्चा जीवित परमेश्वर (यिर्म. 10:10; 1 थिस्स. 1:9) और हिंदू धर्म के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवता नहीं हो सकते। सभी लोगों के लिए सार्वभौमिक तारण और नरक में खोए हुए लोग दोनों एक साथ सच नहीं हो सकते।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूं। बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।"
(यूहन्ना 14:6)
यहां "ही" शब्द सीमित करने वाला है। यीशु "केवल" मार्ग हैं। चूंकि यीशु ही मार्ग, सत्य और जीवन हैं, इसलिए ख्रिस्ती विश्वास सभी अन्य धर्मों के साथ असंगत है।
यूहन्ना 14:6 (प्रेषितों 4:12; यूहन्ना 3:36) की परिभाषा के अनुसार, सभी अन्य धर्म परमेश्वर तक पहुंचने के लिए आवश्यक साधन प्रदान करने से अयोग्य हो जाते हैं।
केवल यीशु ही क्यों?
- केवल यीशु ने पापरहित जीवन जिया (यूहन्ना 8:46; 2 कुरिं. 5:21; 1 पत्र. 2:22; 1 यूहन्ना 3:5; यशायाह 53:9) ताकि उनके चुने हुए विश्वासियों को उनके धर्मी जीवन का श्रेय मिल सके (रोम. 3:22; 5:17; 8:29-30; फिलि. 3:9)।
- केवल यीशु ने अपने भेड़ों के लिए प्रायश्चित करनेवाली मृत्यु सहन की (यशायाह 53:4-6; 1 पत्र. 3:18) ताकि वे परमेश्वर के क्रोध से बचाए जा सकें (रोम. 5:8-9)।
- केवल यीशु ने मृतकों में से संजीवन पाया (प्रेषितों 1:22; 1 कुरिं. 15:1-4) ताकि अपने लोगों को उनके पापों से बचा सके (मत्ती 1:21)।
- केवल यीशु ही बचा सकते हैं (प्रेषितों 4:12; 10:43; 1 तीमु. 2:5)।
चुनाव
इसलिए, ओम्निज्म एक झूठी विश्वास प्रणाली है क्योंकि यह एक ही समय में ख्रिस्ती विश्वास की पुष्टि और अन्य सभी धर्मों की पुष्टि नहीं कर सकता।
लेख क्रेडिट: Dr. Joseph R. Nally, Jr.
0 Comments