अब तक हमने इस्राएल के
इतिहास के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को देखा। किस प्रकार से बाहरी विस्तार वादी एवं
साम्राज्य वादी शासकों ने इस्राएल पर वर्चस्व स्थापित किया। जब हम पवित्र शास्त्र
पढते है,
हम यह जान पाते है की परमेश्वर ने इन शासकों का इस्तेमाल किया ताकी
अपने लोगों के पापों दण्ड उन्हें दे और उन्हें अपनी ओर फेर ले आए। बंदी वास के समय
में इस्राएलीयों का अपने पापों का अहसास हुआ और वे सच्चे मन से परमेश्वर के ओर
फिरे। नहेम्या और एज्रा के अगवाई में इस्राएल (यहुदा प्रांत) राष्ट्र की
पुनर्स्थापना हुई। मंदिर की फिर से बनाया गया: परमेश्वर के उपासना और सामान्य जन
जीवन फिर से स्थापित हुआ। और इसी के साथ पुराने नियम का काल समाप्त हुआ।
पुराने
और नये नियम के मध्य के समय को तीन विभागों में विभाजित किया जा सकता है।
ई. स. पू. 323-167 ग्रीक
साम्राज्य का काल
ई. स. पू. 167-63
स्वतंत्रता का काल
ई. स. पू. 63 - नये नियम
के समय तक रोमन साम्राज्य का समय
ग्रीक
/ युनानी साम्राज्य (ईस्वी सन पूर्व 323-167)
सिकंदर महान राजा |
सिकंदर महान (Alexander the Great): उत्प 10:4 में यावान के देश के बारे में पढ़ने मिलता है, पवित्र शास्त्र के विद्वान मानते है की संभवतः आरम्भिक यूनानी देश रहा होगा। मकिदुनिया के फिलिप्प ने फारस के साम्राज्य से बचने के लिये यूनान को मजबूत करने की मांग की थी। ईस्वी सन पूर्व 336 में उसकी हत्या कर दी गई और उसके बाद उसका बेटा सिकंदर महान के हाथ में राजगद्दी आ गई। उस समय वह केवल 19 साल का था। जो बहुत ही ज्ञानी और अनेक बातों में निपुण था। शासन को हाथों में लेने के 2 साल के भीतर ही उसने फारस के साम्राज्य को हरा कर जीत लिया। वह एक महत्वाकांक्षी राजा था। उसने जगत को जितने का अभियान आरंभ किया। अनेक लड़ाइयों को जितते हुए उसने अगले दो साल में आशिया मायनर से मिस्र तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। पलेस्टाईन और यहुदीया को भी अपने अधीन कर लिया। यहूदी इतिहासकार जोसेफस के अनुसार जब सिकंदर महान ने यरुशलेम में परमेश्वर के मंदिर में भेंट अर्पण करने गया तथा वह यहुदियों के साथ सन्मान के साथ पेश आया। कुछ ही सालों में उसने अपने साम्राज्य विस्तार भारत के सीमा तक बढा दिया। पवित्र शास्त्र में दानिएल की किताब उसके साम्राज्य के विषय में सालों पहले ही भविष्यवाणी की गई थी। यही कारण था का यहुदियों के प्रति वह सन्मान से पेश आया। (दानिएल8:5-7, 20-21, 11:2-3)
सिकंदर
महान के साम्राज्य विस्तार और जीत के तीन गहरे परिणाम तथा प्रभाव तत्कालीन युग में
हुए।
पहला, जहाँ कही भी उसका साम्राज्य फैला हुआ था। उसने यूनानी संस्कृति और
विचारधारा को वहाँ के लोगों पर स्थापित किया। जिसे हेल्लणीकरण (Hellenization) भी कहा जाता है, यूनानी विचारकों के विचार से
लोगों की विचारधारा में परिवर्तन आ गया। यूनानियों ने
अपनी प्रजा के स्तर में विकास किया और उनके लिए शिक्षा, मनोरंजन, खेल-कूद तथा सामाजिक कल्याण आदि का
ऐसा प्रबंध किया जिसे उनकी प्रजा पहिले नहीं जानती थी। जो लोग इस यूनानी सभ्यता को
स्वीकार कर लेते थे वे शिक्षित और अन्य लोग असभ्य समझे जाते थे। वह सोचता था की यह
उसके साम्राज्य में मजबूती प्रदान करेगा और पूरे साम्राज्य में लोगों का जीने की
पद्धति एक समान होगी। जिससे लोग उसके शासन के प्रति ईमानदार रहेंगे। फिर भी
इस्राएल में यहुदियों को अपने यहूदी धर्म और रीति रिवाजों का पालन करने की आजादी
दी गई थी।
दुसरा, जहां कही भी यूनानी साम्राज्य स्थापित हुआ वहाँ पर उसने यूनानी शहरों और
छावणीयों की स्थापना की।
तीसरा, उसने यूनानी (ग्रीक) भाषा को पूरे साम्राज्य में फैला दिया। उस समय ग्रीक
भाषा विश्वीय भाषा के रूप में उभर के आयी। कई शताब्दी तक ग्रीक भाषा का प्रभाव
तत्कालीन साम्राज्य पर रहा।
सिकंदर महान की मौत और साम्राज्य का
विभाजन: अपनी सामर्थ्य की उच्च चोटी पर रहते
समय ईस्वी सन 323 सिकंदर महान की मौत हो गई। और उसका राज्य सेनापतियों में विभाजित हो गया। प्टालेमी ने मिस्र
पर राज किया। वही पर उसका दुसरा सेनापति सेलेयुकुस ने बेबिलोन पर अधिकार स्थापित
किया। और अंतिगोनुस ने आशिया मायनर और उत्तरी सीरिया पर शासन स्थापित किया। दूसरे
दो सेनापतियों ने यूरोप के अन्य भागों पर राज्य स्थापित किया, और उन्होंने कभी भी पलिस्तिनी राजनीति में सीधे प्रभाव नहीं डाला।
प्टालेमी और अंतिगोनुस में पलिस्तिन पर अधिकार को लेकर काफी समय तक संघर्ष बना रहा। ईस्वी सन पूर्व 301 में इप्सुस के युद्ध में अंतिगोनुस की मौत हो गई और उसका राज्य सेलेयुकुस को दे दिया गया। यह युद्ध यूनान के चार सेनापतियों के बीच में हुआ था जिसमें प्टालेमी सहभागी नहीं हुआ था। फिर भी पलिस्तिन पर प्टालेमी ने अधिकार स्थापित किया। इसी कारण पलिस्तिन हमेशा प्टालेमी (जो बाद में यूनान अधिन मिस्र राज्य के शासक को दिया गया हुआ नाम) सेल्युसिड (सीरिया के शासक ) के बीच में विवाद का विषय बना रहा।
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