मसीही सिद्धांत

मसीही सिध्दांत क्या है? 
मसीहत के विविध मुलभुत विषय और तत्व  के अध्ययन को मसीही सिध्दांत कहा जाता है। जो मसीही विश्वास का आधार होते है। 

मसीही होने के नाते हम मसीहत के विविध विषयों पर विश्वास करते है, हम जिस भी विषय पर विश्वास करते है, उस विषय की जानकारी सही सही होना अनिवार्य है, साथ ही यह अनिवार्य है की वह पवित्रशास्त्र पर आधारित हो, हर विषय और उसकी व्याख्या सत्य पे आधारित हो, पवित्र शास्त्र के पूर्ण संदर्भ के बाहर न हो। 

यह सिध्दांत मसीही विश्वास की नींव होते है, जो मसीहत का केंद्र होते है, जिसमें परमेश्वर, मसीही यीशु, पवित्र आत्मा, त्रिएकत्व, बाइबल का अधिकार, पाप, पवित्रीकरण, मसीही व्यवहार, दुसरा आगम, स्वर्गदुत  आदी मुलभूत विषयों पर अध्ययन होता है।   

इन सिध्दांतो का व्यवस्थित और अचूक होना बहुत ही आवश्यक है। इन सिध्दांतो का अलग अलग पहलु के द्वारा भी अध्ययन किया जाता है, जैसे
  1. व्यवस्थित सिध्दांत: इस में हर विषय, तत्व का सखोल अध्ययन किया जाता है, हर एक विषय का व्यापक रिति से, उचित क्रम और ढंग से, योग्य तरिके से सिध्दांतो को संशोधित करने के लिए प्रतिबध्दता होती है। 
  2. बाइबल के सिध्दांत: बाइबल के विभाग और हर एक किताब के अधार पे सिध्दांतो का अध्ययन किया जाता है, जैसे पुराने नियम का सिध्दांत, नये नियम का सिध्दांत, पौलुस की पत्रियों में के सिध्दांत,
  3. ऐतिहासिक सिध्दांत: इस अध्ययन में इतिहास के लंबे समय के अवधि में उस समय के कलिसिया ने क्या विश्वास किया था यह अध्ययन किया जाता है, विश्लेषन किया जाता है। जैसे आरंभिक कलिसिया का विश्वास, मध्ययुग में कलिसिया का विश्वास आदी।
  4. व्यावहारिक सिध्दांत: इसमें मसीहत में मसीही व्यक्ती के व्यवहार को निर्धारित करने के उद्देश्य से  सिध्दांतो का अध्ययन किया जाता है। 
मसीही सिध्दांत के अध्ययन की आवश्यकता: 
आज कल अनेक प्रचारक, शिक्षक, कलिसिया इस विषय को गम्भीरता से नही लेते, कही लोग (पास्टर भी) किताबी ज्ञान नाम देकर इस विषय की थट्टा करते है  (मेरे अनुभव के अनुसार)। लेकिन मसीही जिवन में  मसीही शिक्षा का ज्ञान न होना खतरनाक है। 
  1. मसीहत में परिपक्वता के लिये: एक समय होता है जब हम मसीहत में बालक होते है पर हमें बढने की आवश्यकता होती है। एक मसीही जीवन कैसे बढता है? पवित्र शास्त्र के व्यवस्थित अध्ययन के द्वारा। और मसीही सिध्दांतों का अध्ययन इस जरूरत को पूरा करता है। 
  2. मसीहत में सुरक्षा के लिये: जगत में बहुत सी गलत शिक्षाए है, साथ ही बहुत सारी झुठी शिक्षाएं है, जो पवित्र शास्त्र के गलत व्याख्या करने के द्वारा और सीखाएं जाने के द्वारा प्रसारीत होती है।  एक मसीही व्यक्ति को इन सब बातों में फरक करना आना जरुरी है। ताकि वह गलत शिक्षाओ और शिक्षको से सुरक्षित रहे। मसीही सिद्धांतों का अध्ययन इसी कारण से बहुत ही मायने रखता है।
  3. सेवकाई में बढने और शिष्य निर्माण कार्य में: परमेश्वर की सेवकाई आधे अधुरे ज्ञान से नही की जा सकती, नही तो हम खुद भी भटकेंगे औरों को भी भटकाएंगे। साथ ही परमेश्वर की सेवकाई में सुसमाचार सुनाना, और औरों को मसीह में शिक्षित करना भी सम्मेलित है। जिसे हम चेले बनाना या शिष्य बनाना कहते है।  प्रभु यीशु के पहाडी के उपदशों में हम यीशू द्वारा अनेक सिद्धांतों की व्याख्या  पढते है। मसीह सिध्दांतो का अध्ययन हमें इस सेवाकार्य में बहुत ही मददगार साबित होता है। 


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