तम्बुओं में रहना - बायबल का इतिहास
बायबल के प्राचीन इतिहास में लोग तम्बुओं में रहते थे। इब्राहीम से पहले ये प्रचलन सुरु था। तम्बु में रहने संबधित सबसे पहला संदर्भ हम उत्पती 4:20 में पातें है।
आदा ने याबाल को जन्म दिया। वह तम्बुओं में रहना और पशु.पालन इन दोनों रीतियों का प्रवर्तक हुआ।
जलप्रलय के बाद परमेश्वर का वचन में ऐसे उल्लेखित किया गया है। उत्प 9:27 परमेश्वर येपेत के वंश को फैलाए और वह शेम के तम्बुओं में बसेऔर कनान उसका दास हो।
अब्राहाम, इसहाक और याकूब इस्राएल के कुलाधिपति तंबुओं निवास करते थे।
अब्रहाम ने बेतेल को तम्बू खड़े किए
उत्पत्ति 12:8
फिर वहाँ से आगे बढ़ कर वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है, और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसके पश्चिम की ओर तो बेतेल और पूर्व की ओर ऐ है। वहाँ भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई और यहोवा से प्रार्थना की।
इसहाक ने गरार में
उत्पत्ति 26:17
अत: इसहाक वहाँ से चला गया, और गरार की घाटी में अपना तम्बू खड़ा करके वहाँ रहने लगा।
और याकूब ने सुक्कोत में
उत्पत्ति 33:17
परन्तु याक़ूब वहाँ से निकल कर सुक्कोत को गया, और वहाँ अपने लिये एक घर, और पशुओं के लिये झोपड़े बनाए। इसी कारण उस स्थान का नाम सुक्कोत पड़ा।
कुलाधिपतियों ने अपने पूरे जीवन काल में रहने के लिए तंबुओं का इस्तेमाल किया। इब्रानी की पत्री में इसे उनके वह विश्वास से जोड़ा गया।
इब्रानियों 11:9
विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में, पराए देश में परदेशी के समान, रहकर इसहाक और याकूब समेत, जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बुओं में वास किया।
इस्राएली अपना अपना डेरा अपनी अपनी छावनी में और अपने अपने झण्डे के पास खड़ा किया करें; पर लेवीय अपने डेरे साक्षी के तम्बू ही के चारों ओर खड़े किया करें, कहीं ऐसा न हो कि इस्राएलियों की मण्डली पर मेरा कोप भड़के; और लेवीय साक्षी के तम्बू की रक्षा किया करें।”
परमेश्वर ने मुसा को अपने जो निवास स्थान बनाने की आज्ञा दी थी वह निवास मंडप भी तम्बू ही था। गिनती 1:53,
परमेश्वर का निवास स्थान तम्बू में सोलोमन के मंदिर निर्माण तक रहा। पढ़े
2 शमूएल 7:2
तब राजा नातान नामक भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, “देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।”
परमेश्वर नहीं चाहता था कि इसराइली अपनी जंगल की यात्रा और तंबुओं का निवास भूले इसीलिए उन्हें साल में एकबार झोपड़ियों का पर्व मनाने की आज्ञा भी दी। पढ़े
लैव्यव्यवस्था 23:41-43
प्रतिवर्ष सात दिन तक यहोवा के लिये यह पर्व माना करना; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे कि सातवें महीने में यह पर्व माना जाए। सात दिन तक तुम झोपड़ियों में रहा करना, अर्थात् जितने जन्म के इस्राएली हैं वे सब के सब झोपड़ियों में रहें, इसलिये कि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लोग जान रखें, कि जब यहोवा हम इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल कर ला रहा था तब उसने उनको झोपड़ियों में टिकाया था; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
कनान देश में बसने के बाद भी कहीं मौकों पर इस्राएल के लोगों को तंबुओं में निवास करते हुए पाया गया। युद्ध के समय भी सेना तंबुओं में निवास करती।
ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोपड़ियों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।” 2 शमूएल 11:11 वैसे ही 1 राजा 12: 16 पढ़े।
आमतौर पर माता पिता का तम्बू बच्चो को विरासत के रूप में मिलता था, ( तुलना : तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया। इस प्रकार इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात् शान्ति प्राप्त हुई। उत्पत्ति 24:67 )
कुछ जातियों ने तंबुओं में रहने के परंपरा का कठोरता से पालन किया था जैसे रेकाब के वंशज (संदर्भ : हम तम्बुओं ही में रहा करते हैं, और अपने पुरखा योनादाब की बात मानकर उसकी सारी आज्ञाओं के अनुसार काम करते हैं। यिर्मयाह 35:10)
तंबुओं की रचना और बनाने के साहित्य
इन तंबुओं को 'बालो का घर' ' बैट शाआर' भी कहा जाता। (हे यरूशलेम की पुत्रियो, मैं काली तो हूँ परन्तु सुन्दर हूँ, केदार के तम्बुओं के और सुलैमान के परदों के तुल्य हूँ। श्रेष्ठगीत 1:5 ) क्योंकि पवित्र शास्त्र के समय के तंबुओं को खासकर उसके पर्दो को बकरों के काले बालों से बनाया जाता। (“फिर निवास के ऊपर तम्बू का काम देने के लिये बकरी के बाल के ग्यारह परदे बनवाना। निर्गमन 26:7 ) यह बुने हुए होते थे, जो ठंड में गर्मी देने में सक्षम होते थे। बरसात में भीगकर ये पर्दे जल अवरोध करने में सक्षम बन जाते। गर्मी के समय तंबुओं के पर्दो को चारों बाजू से खुला छोड़ दिया जाता ताकि हवा आ जा सके। सर्दी में यह तम्बू ठंड से बचने के लिए मददगार साबित होते थे। (तुलना करें प्रका. 6:12,)
इन पर्दो की बुनाई और मरम्मत खासकर घर की स्त्रियों द्वारा ही की जाती। साल में एकबार पुराने पर्दो को हटाकर वहां पर नए पर्दे लगाए जाते। पुराने पर्दो का उपयोग तम्बू के अंदर विभाजन के लिए भी किया जाता। यह तम्बू दो या तीन या उससे भी अधिक विभाजन में बने हुए होते थे। तंबुओं के पर्दो को रस्सी से तानकर खूंटों से बांधकर ठोक कर खड़ा किया जाता था। (संदर्भ: यशायाह 33:20 हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आँखों से यरूशलेम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूँटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी।)
खूँटा लोहे से बना हुआ करता था जो कीलों के समान नुकीला हुआ करते थे। जो एक व्यक्ति के सर को छेद कर पार जाने इतने बड़े हुए करते थे। (संदर्भ: इसके बाद हेबेर की स्त्री याएल ने डेरे की एक खूँटी ली, और अपने हाथ में एक हथौड़ा भी लिया, और दबे पाँव उसके पास जाकर खूँटी को उसकी कनपटी में ऐसा ठोक दिया कि खूँटी पार होकर भूमि में धँस गई; वह तो थका था ही इसलिये गहरी नींद में सो रहा था। अत: वह मर गया। न्यायियों 4:21)
तम्बू के अंदर की व्यवस्था
ये तम्बू एक या उससे अधिक कक्षों में बने होते थे। जिन्हे पर्दो के द्वारा विभाजित किया जाता था। स्त्रियों और बच्चो का कक्ष, मेहमानों और पुरुषों के लिए कक्ष, समान रखने का कक्ष आदि। नौकरों या गुलामों के लिए अलग तम्बू बनाए जाते थे। साथ ही पशुओं के लिए भी झोपड़िया बनाई जाती थी। (संदर्भ: यह सुनकर लाबान, याक़ूब और लिआ: और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ: के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया। उत्पत्ति 31:33)
तम्बू के अंदर बैठने के लिए तथा आराम करने के लिए कालीन, या चटाई बिछाई जाती, खुर्ची और मेज रखी जाती। जिस लकड़ी से तम्बू टिके होते अनपर पानी की बोतल लटकाई जाती। आटा पीसने की चक्की आदि भी तम्बू में रखे जाते।
तम्बू के डेरे
पवित्र शास्त्र का इतिहास बताता है की कुलधिपती झुंड में रहते (कबिले) । और खास कर अपने रिश्तेदारों के साथ, जो किसी भी जोखिम, आक्रमण, युद्ध के लिए तैयार ऐसे प्रशिक्षित पुरुष डेरे में सम्मिलित थे। (यह सुनकर कि उसका भतीजा बन्दी बना लिया गया है, अब्राम ने अपने तीन सौ अठारह शिक्षित, युद्ध कौशल में निपुण दासों को लेकर जो उसके कुटुम्ब में उत्पन्न हुए थे, अस्त्र-शस्त्र धारण करके दान तक उनका पीछा किया; उत्पत्ति 14:14)
प्रमुख व्यक्ति, राजा, आदि का तम्बू सबसे मध्य में हुआ करता था। जंगल के यात्रा के समय इस्राएल ने निवास मंडप के चारों ओर गोत्रों के हिसाब से डेरे डाले थे। (गिनती 4 अध्याय) डेरे डालते समय औरतों और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता था।
चरवाहों के डेरे आसानी से स्थलांतर करने योग्य हुआ करते थे। सेना जब युद्ध के लिए निकलती थी डरों में निवास करती थी। (२ शमु ११:११)
पुराने और नए नियम के समय पर तम्बू बनाना एक व्यवसाय था। (उत्प 4.20; प्रेरित 181-3)
तम्बू और आत्मिक सीख
पुराने और नए नियम तंबुओं के अंदर रहने की जीवन पद्धति का उपयोग अध्यात्मिक संदेश देने के लिए किया गया। पुराने नियम में गीतों, भजन और भविष्यवाणियों में प्रतीकात्मक रिति से तम्बू एवं डेरों का उल्लेख आया है। (पढ़े संदर्भ भजन 84:1-10, श्रेष्ठ 1:5, यिर्म 4:20, अय्यूब 15:34 भजन 15.1; 61.4)
नए नियम तंबुओं में रहने की तुलना पृथ्वी पर के विनाशमान जीवन से की गई है। साथ ही पक्के घरों की तुलना स्वर्गीय अनंत जीवन से की गई है।
क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है। 2 कुरिन्थियों 5:1
मैं यह अपने लिये उचित समझता हूँ कि जब तक मैं इस डेरे में हूँ, तब तक तुम्हें सुधि दिला दिलाकर उभारता रहूँ। क्योंकि यह जानता हूँ कि मेरे डेरे के गिराए जाने का समय शीघ्र आनेवाला है, जैसा कि हमारे प्रभु यीशु मसीह ने मुझ पर प्रगट किया है। 2 पतरस 1:13-14
इब्रानी की पत्री में 9 अध्याय में परमेश्वर के निवास मंडप के तम्बू को स्वर्ग का पृथ्वी पर के नमूने के रूप स्पष्ट किया गया है। प्रभु येशु का बलिदान को सारे मानव जाति के लिए है कैसे स्विकारनिय है, जो पृथ्वी के नहीं बल्कि स्वर्गीय मंडप में दिया गया है। (इब्री 8.5; 911; 9.21)
प्रकाशितवाक्य में तम्बू शब्द के द्वारा स्वर्ग को परमेश्वर का निवास स्थान दर्शाया गया है। (प्रकाशित 7.15, 13.6, 15.5)
समापन
बायबल के समय की तंबुओं में रहने की जीवनशैली हमें बहुत कुछ सिखाती है। जरूरी है कि हम इसके द्वारा दिए गए आत्मिक संदेश के ओर भी ध्यान लगाए। यह हमें प्रेरित करता कि हम इस दुनिया में परदेशी और यात्री है और मसीह के आने की बांट जोह रहें। जिसने हमें वादा किया है कि पिता के घर में बहुत सी जगह है और जब वह हमरा घर तैयार कर ले हमे लेने वापस आयेगा। (यूहन्ना 14.1-3)
क्या आप उसके आगमन के लिए तैयार हो?
संदर्भ : (Books)
1) पवित्रशास्त्र शब्द्कोश (मराठी)
2) Manners and Custom of the Bible lands
3) Evidence of Truth
4) The Cultural World of the Bible
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