नासरेथ शिलालेख

 नासरेथ शिलालेख

यह शिलालेख संगमरमर के पत्थर पे खुदी हुई रोम के राजा (कैंसर) की राजाज्ञा है। जो इजराइल परिवार की पारिवारिक कब्र से शव चुराने वाले को मृत्युदंड देने का फरमान है। यह कब्र सीलबंद कब्र है जिस प्रकार के कब्र में प्रभु यीशु को रखा गया था।
यह शिला लेख 1878 में विल्हेम फ्रोहर द्वारा खोजा गया था, जिन्होंने दर्ज किया की यह नासरेथ से है। अंततः 1930 में फ्रांसीसी विद्वान एम. फ्रांज क्यूमोंट द्वारा अनुवादित और प्रकाशित किया गया था। यह ग्रीक शिलालेख क्लौडियास (41-54 ई. सन ) के शासनकाल की होने की संभावना है।
यह आश्चर्यकारक था की रोमी सम्राट को ऐसी आज्ञा निकालनी पड़ी। क्योंकि बहुमूल्य चीजे हासिल करने के लिए उस समय ऐसी कबरे लूटी जाती थी, परंतु शव को कभी भी हाथ नही लगाया जाता था।
पवित्र शास्त्र दर्ज करता है की यहूदी अधिकारियों ने (शास्त्री फरीसी और याजक) यह अफवा फैला दी थी की यीशु के चेले, उसके शव को चुरा ले गए। क्योंकि प्रभु के जी उठने के बाद कब्र खाली पाई गई थी। मत्ती 28:13-15
(यह स्पष्ट है की मत्ती सुसमाचार की किताब लिखी जाने तक यह अफवा प्रचलित थी। यह शिलालेख उसका प्रमाण है)
यह संभावना है की यह खबर सम्राट तक पहुंच गई थी, तब तक मसीही लोग सम्राट के नजर में रोम विरोधी के रूप में देखे जाने लगे थे।
इतिहासकार डॉक्टर क्लाइड बिलिंगटन इस शिलालेख पर टिप्पणी करते है की, "नासरेथ शिलालेख का संदर्भ स्पष्ट रूप निर्देश करता है की यह यहूदियों के लिखा गया है न की अन्यजातियो के लिए, यह उसकी प्रभु यीशु जो यहुदियो का राजा है, उसके पुनरूत्थान के सुसमाचार के प्रति उसकी यह प्रतिक्रिया थी।"

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