शीलोह का कुण्ड और हिजकिय्याह की सुरंग
'यह कहकर उसने भूमि पर थूका, और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगाकर उससे कहा, “जा, शीलोह के कुण्ड में धो ले” (शीलोह का अर्थ ‘भेजा हुआ’ है)। उसने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया। '
प्रस्तुत पाठ हमें प्रभु यीशु के द्वारा किए गए चमत्कार के बारे में बताता है, जिस में वह एक जन्मांध व्यक्ति को आँखे प्रदान करता है। उसे चंगाई करने की प्रभु यीशु की पध्दती भी अनोखी थी। उसने खुद के थुक से गिली मिट्टी उस के आँख पर लगाई और उसे शिलोह के कुण्ड में जाकर धोने को कहा और जैसे ही उस व्यक्ति ने ऐसा किया वह चंगा हो गया।
2004 में यह कुण्ड जल निकासी (गटर) प्रणाली के मरम्मत के दौरान गलती से खोजा गया। इस कुण्ड की खुदाई के दौरान जो बरतन मिले उनकी तीथि ई.स.पू 11 की है, जिससे हमें पाता चलता है की यही कुण्ड यीशु के समय था जहा वह जन्मांध व्यक्ती चंगा हो गया।
यह कुण्ड हिजकियाह के सुरंग के अंत में स्थित है। जो खुद उसने शहर में पानी की आपुर्ति के लिये ई. स. पू 700 में बनवाई थी। यह सुरंग लगभग 1500 फिट लम्बी है। जो 1883 में पुरातत्ववेत्ता एडवर्ड रोबिनसन ने खोज निकाला था। जिसका वर्णन हम 2 राजा 20:20 में पाते है।
'हिजकिय्याह के और सब काम और उसकी सारी वीरता और किस रीति उसने एक पोखरा और नाली खुदवा कर नगर में पानी पहुंचा दिया, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?'
यह भी पढे 2 इतिहास 32:30
'उसी हिजकिय्याह ने गीहोन नाम नदी के ऊपर के सोते को पाट कर उस नदी को नीचे की ओर दाऊदपुर की पच्छिम अलंग को सीधा पहुंचाया, और हिजकिय्याह अपने सब कामों में कृतार्थ होता था।' (2 इतिहास 32:2-3 भी पढे)
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