बायबल के अनुसार लिंग (Genders) कितने है?

बाइबल के अनुसार केवल दो लिंग हैं

बाइबल स्पष्ट रूप से बताती है कि केवल दो ही लिंग हैं। उत्पत्ति 1:27 में मनुष्य की सृष्टि का वर्णन करते हुए लिखा है, "और परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार सृजा; अपने स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसे सृजा; नर और नारी करके उसने उनकी सृष्टि की।" (उत्पत्ति 1:27)

यह पद स्पष्ट रूप से बताता है कि परमेश्वर ने केवल दो ही लिंग बनाए – पुरुष और स्त्री।

इतिहास के दौरान अधिकांश समाजों ने बाइबल की इस शिक्षा को स्वीकार किया है कि केवल दो ही लिंग होते हैं। पुरुष और स्त्री के अलावा अन्य कोई लिंग नहीं होता। लेकिन आधुनिक समय में, विशेष रूप से पिछले कुछ दशकों में, समाज की सोच और सिद्धांतों में बदलाव आया है। आज के समय में कई लोग मानते हैं कि कई प्रकार के लिंग अस्तित्व में हैं, जैसे कि ट्रांसजेंडर, जेंडर न्यूट्रल, जेंडरक्वियर, नॉन-बाइनरी, एजेंडर, पैनजेंडर आदि। इस प्रकार के विचारों ने 'लिंग' शब्द के अर्थ को बाइबल के दृष्टिकोण से पूरी तरह बदल दिया है।

कुछ लोग 'लिंग' और 'जैविक लिंग' के बीच अंतर बताते हैं। उनका कहना है कि जन्म के समय जो लिंग हमें दिया जाता है, वह केवल एक 'लेबल' होता है। कुछ लोगों को जन्म के समय पुरुष और कुछ को स्त्री घोषित किया जाता है, जिसे जैविक लिंग कहा जाता है। लेकिन 'जेंडर' व्यक्ति की पहचान और भावनाओं पर निर्भर करता है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, मनुष्य अपना लिंग स्वयं तय कर सकता है, चाहे उसका जैविक लिंग कुछ भी हो।

हमें इस विषय पर बाइबल की शिक्षा को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए, लेकिन इसे प्रेम, दया और करुणा के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। पौलुस कहता है, "पर प्रेम में सच्चाई का पालन करते हुए सब बातों में उसमें बढ़ते जाएं जो मस्तक है, अर्थात मसीह।" (इफिसियों 4:15)

परमेश्वर की योजना में लिंग का स्थान

परमेश्वर ने मनुष्य को केवल पुरुष और स्त्री के रूप में रचा (उत्पत्ति 1:27)। पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक अंतर स्पष्ट हैं, और ये अंतर उनके लिंग की पहचान को दर्शाते हैं। परमेश्वर ने दोनों को विशिष्ट भूमिकाएं दी हैं। जब परमेश्वर ने अपनी सृष्टि को देखा, तो उसने कहा कि यह "बहुत अच्छा" है (उत्पत्ति 1:31)। यदि परमेश्वर की सृष्टि अच्छी है, तो उसे बदलने का प्रयास करना अच्छा नहीं हो सकता।

हालाँकि पुरुष और स्त्री के बीच भिन्नताएं हैं, फिर भी दोनों को परमेश्वर के स्वरूप में रचा गया है (उत्पत्ति 1:27)। इसका अर्थ है कि पुरुष और स्त्री दोनों का सम्मान और मूल्य समान है। परमेश्वर ने आदम और हव्वा दोनों को आशीष दी और कहा, "फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसे अपने वश में कर लो।" (उत्पत्ति 1:28)

यह आज्ञा केवल पुरुष और स्त्री के सहयोग से ही पूरी हो सकती है।

आध्यात्मिक रूप से भी पुरुष और स्त्री परमेश्वर के सामने समान हैं। पौलुस कहता है, "इसलिए कि मसीह यीशु में न तो यहूदी है, न यूनानी; न दास, न स्वतंत्र; न नर, न नारी, क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।" (गलातियों 3:28) 

उद्धार का सुसमाचार पुरुष और स्त्री दोनों के लिए समान रूप से उपलब्ध है। दोनों को पाप से तारण की आवश्यकता है, और दोनों एक ही प्रकार से तारण प्राप्त करते हैं।

पुरुष और स्त्री के बीच भिन्नताओं का उद्देश्य

परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री को अलग-अलग बनाया, ताकि वे उसकी योजना को पूरा कर सकें।

1. प्रजनन के लिए: परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री को अलग-अलग यौन अंगों के साथ बनाया ताकि वे प्रजनन कर सकें (उत्पत्ति 1:28)।

2. सहयोग के लिए: परमेश्वर ने कहा, "मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं है।" इसलिए उसने आदम के लिए हव्वा को बनाया (उत्पत्ति 2:18-22)।

3. प्रतीकात्मक संबंध के लिए: पति और पत्नी का संबंध परमेश्वर के मसीह और मंडळी के प्रेम का प्रतीक है। पौलुस कहता है, "हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो, जैसे मसीह ने भी मंडळी से प्रेम किया और अपने आप को उसके लिए दे दिया।" (इफिसियों 5:25)

सत्य पर अटल रहना

भले ही बहुत से लोग बाइबल की इस शिक्षा को अस्वीकार करें, फिर भी हमें परमेश्वर के वचन की सच्चाई पर अडिग रहना चाहिए। पौलुस लिखता है, "परन्तु तू वह बातें बता जो सही उपदेश के अनुकूल हैं।" (तीतुस 2:1)

हमें सुसमाचार का प्रचार निर्भय होकर करना चाहिए, जैसे पौलुस ने कहा, "क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, क्योंकि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिए तारण के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य है।" (रोमियों 1:16)

हमारा उद्देश्य लोगों को प्रेम और दया के साथ परमेश्वर की सच्चाई बताना है, ताकि वे परमेश्वर की योजना को जानकर उसके स्वरूप में अपने वास्तविक स्थान को समझ सकें।

क्रेडिट: Got Questions 


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