प्रारंभिक कलिसिया के मसीही अगुवे (Apostolic Fathers / Early Church Fathers)

 



मसीही इतिहास

प्रारंभिक कलिसिया के मसीही अगुवे

(Apostolic Fathers)

प्रारंभिक कलिसिया के अगुवे (Early Church Fathers) कौन है?

प्रेरितिक युग(Apostolic Age): कलिसिया के प्राचीन इतिहास में ईस्वी सन 100 आसपास तक के युग को प्रेरितिक युग(Apostolic Age) कहा जाता है। इस समय में प्रेरितों ने सुसमाचार का प्रचार कर कलिसियाओ की स्थापना की। कलिसिया लगभग तीनों खंडों में स्थापित हो चुकी थी। प्रेरित यूहन्ना को छोड बाकी के सभी प्रेरित प्रभु यीशु पर के अपने विश्वास और कार्य के कारण मार दिए गए। कलिसिया ने रोम साम्राज्य में भारी सताव का सामना किया। पर भारी सताव में भी कलिसिया टिकी रही और फैलती गई। दूसरी शताब्दी तक मसीही लोग पूरे रोम साम्राज्य में फैल चुके थे।

प्रेरितिक युग में ही नये नियम की सभी किताबें प्रेरितों और उनके निकटवर्तीयों के द्वारा लिखे गये। सुसमाचार की सभी किताबें, सभी पत्रियां, अन्य सभी लेख कलिसिया में प्रसारित हो चुके थे। इन लेखों को कलिसिया में प्रचार किया जाता और मसीहत के शिक्षाओं की नींव इन्हीं किताबों के द्वारा रखी गई थी। नये नियम के शिक्षा के विपरीत यदि कुछ सिखाया जाता या प्रचारित किया जाता, उसका खंडन किया जाता था।

नये नियम के अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण लेख भी कलिसिया में प्रचारित थे। जो उस समय के अगुवों के द्वारा लिखे गये थे। जिन्हें प्रारंभिक कलिसिया के अगुवों के द्वारा लिखा गया था।

प्रारंभिक कलिसिया के अगुवें (Early Church Fathers or Apostolic Fathers) : वे लेख जो नये नियम के लेख अलावा सुरक्षित बचे रहे और नये नियम का भाग नहीं है; परंतु प्रारंभिक कलिसिया के अगुवों  द्वारा लिखित थे, उन्हे अ‍ॅपॉस्टलिक फादर्सकहा जाता है। 

यह कलिसिया के अगुवों की वह पीढी थी जो प्रेरितों से जुडे हुए थे। इतिहासकार मानते है की इन्होंने प्रभु यीशू के शिष्य जो बाद में प्रेरित बने उनसे शिक्षाओं को प्राप्त किया था और उनके द्वारा कलिसिया के अगुवों के रुप में चुने गए थे। इन अगुवों ने कलिसिया की विविध विषयों पर अगवाई की, जैसे मसीही जीवन, उपासना, प्रभु भोजन, बपतिस्मा, सैद्धांतिक विषय, और झूठी शिक्षाओं का खंडन; इन सभी विषयों को हम प्रारंभिक कलिसिया के मसीही अगुवों के लेखों में पाते है।  

अ‍ॅपॉस्टलिक फादर्सवह नाम जो प्रारंभिक कलिसिया के अगुवों को दिया गया है, वह संभवतः 17वी शताब्दी में प्रथम उपयोग में आया था। जिसे मुख्यता पांच प्राचीन कलिसिया के लेख का संच था जिसे  संबोधित करने के लिये उपयोग में लाया गया था। कुछ ही सालों में इनमें और तीन लेखों को जोडा गया।  इसलिये अ‍ॅपॉस्टलिक फादर्स की संख्या करीब 8 है तथा कुछ विद्वानों के अनुसार 9 है क्योंकि वे अ‍ॅपॉस्टलिक फादर्स  में डायोग्नेतुस के छोटे पत्र को भी समाविष्ट करते है । अ‍ॅपॉस्टलिक फादर्स या प्रारंभिक कलिसिया के अगुवें और उनके लेखइस प्रकार से है।

1.      रोम के क्लेमेंट के दो पत्र

2.     दिदखे

3.     अंतुकिया के बिशप संत इग्नेशियस के सात पत्र

4.    स्मुरना का संत पॉलिकॉर्प

5.     बरनाबास का पत्र

6.    हेर्मास का रखवाला (the Shepherd of Hermas)

7.     डायोग्नेतुस की छोटी पत्री

8.    पापियास की पत्री

9.    क्वाद्रातुस की पत्री

देखा जाए तो इन सभी रचनाओं की साहित्यिक प्रकृति एक समान नहीं है, उनमें से कुछ पत्रियां बहुत ही छोटी और अनुशासन के  लिये निर्देशक लेख है। कुछ पत्रियां व्याख्यात्मक लेख है तो कुछ ईश्वर विज्ञान के विषयों पर प्रकाश डालते है। कुछ पत्रियों में दर्शन और भविष्यवाणियां है। यह विविधता प्रेरितिक अगुवों के मूल्यों को बढाते है और प्रारंभिक कलिसिया के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। 

 

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