यरिहो नगर
पवित्र शास्त्र के अनुसार कनान में प्रवेश करने के बाद यरदन नदी पार करते ही यह प्रथम शहर था जिस पर इस्राएल ने हमला किया था।
पुरातत्व प्रमाणो के अनुसार यह बहुत ही प्राचिन शहर था। पुरातत्व आधार पर इस नगर का काल निर्धारण ई.पू. 1400 वर्ष किया गया। यह नगर मजबुत शहरपनाह की दीवार से घिरा हुआ था। पुरातत्वीय उत्खनन से पता चला है की शहरपनाह की यह दीवार 430,000 फिट तक फैली हुई थी। 11.8 उंची और 5.9 फिट तक चौडी थी। जगह जगह 28 फिट उंचे और 30 फिट चौडे पत्थर से बने मिनार थे जिन पर चढने के लिये सीडीया भी थी।
इस नगर पर जय पाने के लिए इस्राएलियों ने परमेश्वर के आज्ञा के अनुसार छै दिन परिक्रमा की और सातवे दिन सात बार परिक्रमा कर के नरसिंगा फुंककर जयजयकार किया और शहरपनाह की नींव ढह गई। और इस्राएल ने वह नगर जीत लिया। (यहोशु 6 अध्याय) यह घटना पुरातत्व विज्ञान के आधार पर 1240 ई. स. पू की बताई जाती है। यहोशु ने इस नगर को ढाने के बाद एक श्राप की घोषना भी की थी। हिएल नामक व्यक्ती ने जब इस नगर को फिर से बनाया तब यह श्राप उसके जीवन में खरा साबित हुआ। (1 राजा 16:34 और यहोशु 6:26)
नये नियम और पुराने नियम के यरिहो नगर दोनो भिन्न थे, उनमें लगभग एक किमी का अंतर था। यीशु मसीह के समय के यरिहो का निर्माण ‘हेरोदस महान’ राजा ने किया था
ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता कथलीन केन्यॉन ने आधुनिक विधि से सन् 1950 में दुबारा उत्खनन कार्य किया। जिसमें उन्होंने पाया कि प्राप्त ईंट शहरपनाह में ही स्थित थी। बाइबिल वर्णन के अनुसार (यहोशू 6:20)। “तब उन्होंने नगर को और जो कुछ उस में था, सब को आग लगाकर फूंक दिया” (यहोशू 6:24)। पुरातत्ववेत्ताओं ने इस भंयकर अग्निकांड के प्रमाण खुदाई में प्राप्त किये हैं। कथलीन केन्यॉन के अनुसार 'नगर का सम्पूर्ण विनाश हुआ था। दीवारें और फर्श आग से काले अथवा लाल हो गये थे और प्रत्येक कमरे गिरि हुई ईंटों, इमारती लकड़ी, तथा दैनिक उपयोग की वस्तुओं से भरे हुए थे। प्रायः सभी कमरों में मलबा बुरी तरह जला हुआ था। शहर की उत्तरी दीवार सुरक्षित थी शेष सभी ओर की दीवारें ढह गयी थीं। राहाब (जो कि एक कनानी वैश्या थी जिसने इस्राएलियों के भेदियों को छुपा रखा था) का घर जो कि शहरपनाह में बना था (यहोशू 2:15) उत्तरी दीवार में खोज लिया गया। जोकि अद्भुत रीति से बचा रह गया। विश्वास के द्वारा यरीहो की शहरपनाह के ढह जाने का वर्णन नये नियम के इब्रानियों के नाम पत्री नामक पुस्तक के 11.30-31 में भी पाया जाता है।
सन् 1997 में दो इटली के पुरतत्ववेत्ताओं ने एक छोटा अभियान सम्पन्न किया। पलस्तीन के पुरातत्व विभाग के अर्न्तगत लॉरेन्जो नीग्रो तथा निकोलो मास्थेट्टी ने लगभग एक माह तक उत्खनन कार्य किया तथा केथलीन केन्यॉन के द्वारा छोड़े गये खण्डित खाईयों में कार्य किया। तथा किसी भी प्रकार के प्रमाण न मिलना स्वीकार किया। इसका मुख्य कारण यह था कि पलस्तीन के अधिकारी नहीं चाहते थे कि इन स्थान से यहूदियों का सम्बन्ध जोड़ा जाये। डॉक्टर ब्रान्ट बुड ने बतलाया कि 90 वर्षों में तीन प्रमुख अभियान के तहत यरीहो में उत्खनन अभियान किये गये, जिसमें अनेक प्रमाण बाइबिल पर आधारित होने की पुष्टि की गई इसके अतिरिक्त गारस्टंग (1430-193) केथलीन केन्यॉन (1952-1958) एवं जर्मनी के पुरातत्ववेत्ता सेलिन, कार्ल वाटजिंगर आदि ने नगर के आग से नष्ट होने के अनेक प्रमाणों के होने की पुष्टि की।
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