उद्धार का रोमियों मार्ग

उद्धार का रोमियों मार्ग

उद्धार का रोमियों मार्ग

उद्धार के रोमियों मार्ग तरीके में उद्धार के शुभ सन्देश को बाइबल की रोमियों नामक पुस्तक में से संदर्भों का उपयोग करके व्याख्या करना है। यह एक सरल परन्तु फिर भी शक्तिशाली तरीका है जो यह समझने में मदद करता है कि हमें उद्धार की आवश्यकता क्यों है, परमेश्वर ने इसका प्रबंध कैसे किया, हम इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं, और इसके परिणाम क्या हैं।

उद्धार की आवश्यकता

रोमियों 3:23: "इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।"

यह आयत बताती है कि हम सबने पाप किया है। हमने ऐसे कार्य किए हैं जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं। संसार में कोई भी निर्दोष नहीं है। रोमियों 3:10-18 हमारे जीवन में पाप के विभिन्न रूपों का विस्तृत चित्र प्रस्तुत करता है।

पाप के परिणाम

रोमियों 6:23: "क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।"

पाप का परिणाम मृत्यु है। यह न केवल शारीरिक मृत्यु की बात करता है, बल्कि सर्वकालिक आत्मिक मृत्यु की भी बात करता है, जो परमेश्वर से अनन्तकालीन अलगाव है।

उद्धार का प्रबन्ध

रोमियों 5:8: "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा।"

परमेश्वर ने अपनी असीम प्रेम की भलाई इस प्रकार प्रकट की कि उसने अपने पुत्र यीशु मसीह को हमारे पापों के लिए मरने भेजा। यीशु की मृत्यु ने हमारे पापों की कीमत चुका दी। यीशु का पुनरुत्थान इस बात का प्रमाण है कि परमेश्वर ने यीशु की मृत्यु को हमारे पापों के दाम के रूप में स्वीकार कर लिया।

उद्धार प्राप्त करने का मार्ग

रोमियों 10:9: "कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।"

रोमियों 10:13: "क्योंकि, जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पायेगा।"

उद्धार प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने पापों की सच्ची स्वीकारोक्ति करनी होगी और यीशु मसीह में विश्वास रखना होगा। यही सच्चे तारण की कुंजी है।

उद्धार के परिणाम

रोमियों 5:1: "अत: जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।"

इस आयत में बताया गया है कि जब हम विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरते हैं, तो हमारा परमेश्वर के साथ शांति और मेल हो जाता है।

रोमियों 8:1: "अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं।"

यीशु मसीह के द्वारा उद्धार प्राप्त करने के बाद हमें हमारे पापों के लिए कभी दण्ड नहीं दिया जाएगा।

रोमियों 8:38-39: "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि हमें परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु यीशु मसीह में है, अलग कर सकेगी।"

यह आयत हमें परमेश्वर के अनन्त प्रेम का आश्वासन देती है।

उद्धार की प्रार्थना

यदि आप उद्धार के लिए यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहते हैं, तो आप इस सरल प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर से बात कर सकते हैं:

"हे, परमेश्वर, मैं जानता हूँ कि मैंने आपके विरुद्ध पाप किया है और मैं सजा का पात्र हूँ। परन्तु यीशु मसीह ने उस सजा को स्वयं पर ले लिया जिसका पात्र मैं था ताकि उसमें विश्वास करने के द्वारा मैं क्षमा किया जा सकूँ। मैं उद्धार के लिए आप में अपना विश्वास रखता हूँ। आपके अद्भुत अनुग्रह तथा क्षमा – जो अनन्त जीवन का उपहार है, के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ! आमीन।"

यदि आपने इस प्रार्थना को किया है और सच में यीशु मसीह पर विश्वास रखा है, तो आपने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार उद्धार प्राप्त कर लिया है। अब आप परमेश्वर के परिवार के सदस्य हैं और आपको आत्मिक रूप से बढ़ने के लिए परमेश्वर के वचन (बाइबल) का अध्ययन करना चाहिए तथा विश्वासी मण्डली के साथ fellowship में रहना चाहिए।

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