जगत के धर्म: हिंदू धर्म क्या है और हिंदू क्या विश्वास रखते हैं?

हिंदू धर्म क्या है और हिंदू क्या विश्वास रखते हैं?

हिंदू धर्म क्या है और हिंदू क्या विश्वास रखते हैं?

हिंदू धर्म की पहचान

हिंदू धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक माना जाता है। इसके धार्मिक ग्रंथों की रचना लगभग 1400 से 1500 ईसा पूर्व के आसपास मानी जाती है। हिंदू धर्म अत्यंत विविधतापूर्ण और जटिल है, जिसमें लाखों देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों में भिन्न-भिन्न दार्शनिक मत पाए जाते हैं। यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन मुख्य रूप से भारत और नेपाल में इसका पालन किया जाता है।

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ अत्यंत विस्तृत और विभिन्न श्रेणियों में विभाजित हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है – **श्रुति** (ईश्वरीय प्रेरणा से प्रकट हुए) और **स्मृति** (मानवों द्वारा संकलित और व्याख्यायित ग्रंथ)।

1) श्रुति ग्रंथ

श्रुति ग्रंथों को सबसे पवित्र माना जाता है। इनमें मुख्य रूप से **वेद** और **उपनिषद** शामिल हैं।

  • वेद: हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। चार वेद हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ये ग्रंथ मुख्य रूप से स्तोत्र, मंत्र, यज्ञ-विधि और दर्शनशास्त्र से संबंधित हैं।
  • उपनिषद: ये वेदों का अंतिम भाग माने जाते हैं और आत्मा, ब्रह्म तथा मोक्ष जैसे गूढ़ दार्शनिक विषयों पर प्रकाश डालते हैं। उपनिषदों को 'वेदांत' भी कहा जाता है।

2) स्मृति ग्रंथ

स्मृति ग्रंथ वे हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी संकलित और समाज के अनुरूप व्याख्यायित किए गए हैं। इनमें प्रमुख ग्रंथ निम्नलिखित हैं:

  • रामायण: महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित है।
  • महाभारत: महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित, यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसमें भगवद गीता शामिल है, जिसे हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है।
  • पुराण: विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की कथाओं, सृष्टि की उत्पत्ति और धार्मिक सिद्धांतों का वर्णन करने वाले ग्रंथ। प्रमुख 18 पुराण हैं, जैसे कि विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण आदि।
  • धर्मशास्त्र: मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति जैसे ग्रंथ हिंदू समाज की व्यवस्थाओं और नियमों का मार्गदर्शन करते हैं।

ये सभी ग्रंथ हिंदू धर्म के दर्शन, आचार-विचार और धार्मिक परंपराओं की नींव माने जाते हैं।

हिंदू धर्म के प्रमुख सिद्धांत

हिंदू धर्म को बहुदेवतावादी (बहु-ईश्वरवादी) माना जाता है, क्योंकि इसमें 33 करोड़ से अधिक देवी-देवताओं का उल्लेख है। हालांकि, इसमें एक सर्वोच्च तत्त्व भी है, जिसे "ब्रह्म" कहा जाता है। ब्रह्म को संपूर्ण सृष्टि का अंतिम सत्य माना जाता है। ब्रह्म निर्गुण (गुणरहित) और निराकार (रूपहीन) है, लेकिन त्रिमूर्ति के रूप में प्रकट होता है:

  • ब्रह्मा - सृष्टिकर्ता
  • विष्णु - पालनकर्ता
  • शिव - संहारकर्ता

हिंदू धर्म का दर्शनशास्त्र

हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के दार्शनिक विचारधाराएँ पाई जाती हैं। प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं:

1) अद्वैतवाद (अद्वैत वेदांत)

अद्वैतवाद के अनुसार संपूर्ण विश्व और ब्रह्म एक ही हैं। आत्मा और ब्रह्म में कोई भिन्नता नहीं है, दोनों एक ही सत्ता के रूप हैं। यह विचार आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित किया गया था।

2) विशिष्टाद्वैतवाद

इस दर्शन के अनुसार आत्मा और परमात्मा अलग होते हुए भी एक-दूसरे से संबंधित हैं। सृष्टि परमात्मा का ही अंश है, लेकिन आत्मा और परमात्मा में कुछ अंतर भी है। यह विचार रामानुजाचार्य ने प्रतिपादित किया था।

3) द्वैतवाद (भक्तिवाद)

द्वैतवाद के अनुसार आत्मा और परमेश्वर पूरी तरह से अलग हैं। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और केवल भक्ति के माध्यम से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है। वैष्णव संप्रदाय इस दर्शन पर आधारित है।

हिंदू धर्म और बाइबल

हिंदू धर्म की कई शिक्षाएँ बाइबल की शिक्षाओं से भिन्न हैं। बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि:

  • सिर्फ एक ही परमेश्वर है, जो व्यक्तिगत और जानने योग्य है (व्यवस्थाविवरण 6:5; 1 कुरिन्थियों 8:6)।
  • परमेश्वर ने पृथ्वी और समस्त सृष्टि को बनाया (उत्पत्ति 1:1; इब्रानियों 11:3)।
  • मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है और उसे केवल एक ही जीवन मिला है (उत्पत्ति 1:27; इब्रानियों 9:27-28)।
  • तारण (मोक्ष) केवल यीशु मसीह के माध्यम से ही संभव है (यूहन्ना 3:16; 6:44; 14:6; प्रेरितों के काम 4:12)।

हिंदू धर्म यीशु को एकमात्र उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार नहीं करता, इसलिए यह बाइबल की शिक्षाओं से मेल नहीं खाता।

निष्कर्ष

हिंदू धर्म एक विस्तृत, सांस्कृतिक और दार्शनिक रूप से समृद्ध धर्म है, जो कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष की अवधारणाओं पर आधारित है। लेकिन बाइबल के अनुसार, मोक्ष केवल यीशु मसीह के माध्यम से संभव है। इसलिए, जो कोई सच्चे उद्धार की खोज में है, उसे बाइबल की सच्चाइयों को समझना चाहिए और यीशु मसीह पर विश्वास रखना चाहिए।

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