अय्युब
28:1-11
1 “चाँदी की खानि तो होती है, और सोने के लिये भी स्थान
होता है जहाँ लोग ताते हैं। 2 लोहा मिट्टी में से निकाला जाता और पत्थर पिघलाकर पीतल बनाया जाता है। 3 मनुष्य अन्धियारे को दूर कर, दूर दूर तक खोद खोद कर, अन्धियारे और घोर अन्धकार
में पत्थर ढूँढ़ते हैं। 4 जहाँ लोग
रहते हैं वहाँ से दूर वे खानि खोदते हैं वहाँ पृथ्वी पर चलनेवालों के पाँव भी नहीं पड़ते वे मनुष्यों से दूर लटके हुए झूलते रहते हैं। 5 यह भूमि जो है, इससे रोटी तो मिलती है, परन्तु उसके नीचे के स्थान मानो आग से उलट दिए जाते हैं। 6 उसके पत्थर नीलमणि का स्थान हैं, और उसी में सोने की धूल भी
है। 7 “उसका मार्ग कोई मांसाहारी
पक्षी नहीं जानता, और किसी गिद्ध की दृष्टि
उस पर नहीं पड़ी। 8 उस पर हिंसक पशुओं ने पाँव नहीं रखा, और न उससे होकर कोई सिंह
कभी गया है। 9 “मनुष्य चकमक के पत्थर पर हाथ लगाता, और पहाड़ों को जड़ ही से
उलट देता है। 10 वह चट्टान खोदकर नालियाँ
बनाता, और उसकी आँखों को हर एक
अनमोल वस्तु दिखाई पड़ती है। 11 वह नदियों को ऐसा रोक देता है, कि उनसे एक बूंद भी पानी नहीं टपकता और जो कुछ छिपा है उसे वह उजियाले में निकालता है।
अय्युब का यह पाठ हमें ताम्रपाषाण युग में चलित ताम्बे, लोहे, सोने और अन्य बहुमुल्य वस्तुओं के खानो (खदाने) का वर्णन मिलता है। जब इस्राएली कनान की ओर बढ रहे थे परमेश्वर जो देश उन्हें देनेवाला था उसका वर्णन करते समय वह कहता है, “ …वहाँ के पत्थर लोहे के है और वहाँ के पहाडों में से तु तांबा खोदकर निकाल सकेगा” (व्यवस्था 8:9)
जैसा
कि अय्यूब के पाठ में वर्णन किया गया है, खनिक कामगार सुरंग के अंदर और बाहर चढ़ने लिये
दंडो का उपयोग लिफ्ट के समान) करते थे,
भूमिगत सुरंगो को हवादार
बनाने के लिए दीवारों में तलहटी के साथ ट्यूब नुमा सुरंग हुआ करती थी; खोदने के लिए धातु की छेनी और कुदाल का इस्तेमाल किया जाता था। तांबे की समृद्ध स्रोतों की ये सुरंग 100 फीट या
उससे अधिक की गहराई तक की थी। ये सुरंग भूमिगत गुफाओं में फैले हुए थे जहां धातुओं
का खनन किया जाता था। पाठ में इन श्रमिकों को इन गुफाओं में रस्सियों से लटकते हुए,
एक गठन या दूसरे काम करने के लिए आगे-पीछे झूलते हुए और साथ ही सतह
पर धातुओं गुठ्लियो के भारी भार को ढोते हुए दर्शाया गया है। जब धातुओं ढा ने काम
हो जाता सुरंगो को छोड़ दिया गया था,
इसलिये वे उड़ने वाली रेत से भर गए थे।
पुरातत्व
खोज के अनुसार ये खदाने ई.स.पू. 14 वी
शताब्दी से लेकर 12 वी शताब्दी में खोदी गई होगी। सुरवात में इन खदानो को
एलाम देश तांबा और लोहा प्राप्ति के लिए करता था। इजिप्त के लिये भी ताम्बे को
प्राप्त करने का यह मुख्य श्रोत रहा है। आसपास के भाग में ऊंट के हड्डीयों के
अवशेष मिले जो अब्राहाम के समय के होने के सुबूत पेश करते है। माना जाता है की
अय्युब इसी समकालीन था।
इस भाग हाल ही में पुरातत्व उत्खनन में जो बरतन, और अन्य सामुग्री के द्वारा पता चलता है की इन खदानो से धातु और अन्य बहुमूल्य चिजे प्राप्त करने के लिये दाऊद और सुलैमान ने खुदाई की है। सुलैमान निर्मित खम्भों को हम यहा पाता है।
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